क्या आप जानते हैं भविष्य में गंगा नदी में पानी बहुत कम हो सकता है या खत्म हो सकता है। जी हां हम कोई काल्पनिक बात नहीं कह रहे हैं बल्कि वैज्ञानिकों के शोध पर आधारित जानकारी आपको दे रहे हैं। क्योंकि जिस तरह गंगोत्री ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है ऐसा हो सकता है कि भविष्य में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाए.आखिर कैसे गंगोत्री ग्लेशियर पिघल रहा है

देहरादून स्थित वाडिया भूगर्भ संस्थान के वैज्ञानिकों ने समय-समय पर ग्लेशियरों को लेकर अपनी रिपोर्ट साझा की है जिसमें उन्होंने बताया है कि उत्तराखंड के ग्लेशियर पिघल रहे हैं जिनमें गंगोत्री ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघल रहा है। वाडिया भूगर्भ संस्थान के पूर्व निदेशक और वर्तमान में आईटी खड़कपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर ए के गुप्ता की माने तो गंगोत्री ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बहुत तेज है। गंगोत्री ग्लेशियर के सहायक ग्लेशियर उससे भी तेजी से पिघल रहे हैं।

डॉक्टर ए के गुप्ता के रिसर्च के अनुसार गंगोत्री ग्लेशियर पिछले 50 सालों में तेजी से सिकुड़ताजा रहा है। गंगोत्री ग्लेशियर का सहायक ग्लेशियर चतुरंगी ग्लेशियर सबसे तेज पिघलने वाले ग्लेशियरों में है। इस के पिघलने की रफ्तार ऐसी है कि कई साल पहले यह गंगोत्री से कट चुका है। करीब 10 से 12 छोटे बड़े ग्लेशियर मिलकर गंगोत्री ग्लेशियर का निर्माण करते हैं। ऐसे में यह छोटे ग्लेशियर अगर तेजी से पिघलेंगे तो गंगोत्री ग्लेशियर को भी पिघलने में समय नहीं लगेगा। डॉक्टर ए के गुप्ता बताते हैं कि वेस्टर्न विंड के जरिए लद्दाख रीजन में सर्दियों के मौसम में काफी मॉयस्चर आता है जिसकी वजह से वहां ग्लेशियर तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन वही वेस्टर्न विंड जब उत्तराखंड और हिमालय रीजन में आती हैं तो यहां उतना मॉयस्चर नहीं मिल पाता है। ज्यादा गर्मी होने के चलते यहां ग्लेशियर बनने के बजाय पिघलना शुरू हो जाते हैं।


डॉक्टर ए के गुप्ता के मुताबिक ग्लेशियर पर मानवों की लगातार बढ़ने वाली आवाजाही के चलते भी यह तेजी से पिघल रहे हैं। ग्लेशियर पर बड़े पैमाने पर पर्वतारोही और एक्सपीडिशन दल आ रहे हैं जो ग्लेशियर के लिए खतरनाक हैं। ग्लेशियर पर ज्यादा मूवमेंट इसके पिघलने का सबसे बड़ा कारण है इसलिए ऐसी एक्टिविटीज को बंद करना चाहिए।

वाडिया भूगर्भ संस्थान के वैज्ञानिकों के रिपोर्ट को लेकर उत्तराखंड वन महकमे के मुखिया प्रमुख वन संरक्षक जयराज भी कहते हैं कि यह सही बात है कि ग्लेशियर पर लोगों की आवाजाही बढ़ने से इसके अस्तित्व पर खतरा बनता जा रहा है। क्योंकि सारा इकोसिस्टम पानी से चलता है और बड़े पैमाने पर लोगों की आवाजाही इसके पिघलने का कारण बन रही है इसलिए वह भी मानते हैं कि एक्टिविटीज को कम किया जाना बेहद जरूरी है।

वाडिया भूगर्भ संस्थान की रिपोर्ट को लेकर उत्तराखंड सरकार भी मामले में अध्ययन की बात कह रही है उत्तराखंड वन पंचायत सलाहकार समिति के अध्यक्ष विरेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि वैज्ञानिकों की रिपोर्ट पर अध्ययन किया जाना बेहद जरूरी है क्योंकि अगर ग्लेशियर पिघलते हैं तो उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए दिक्कतें हो सकती हैं ऐसे में राज्य और केंद्र सरकार के स्तर पर प्लानिंग करने की बेहद जरूरी है हालांकि वह भी मानते हैं कि अगर वैज्ञानिकों की रिपोर्ट सही है तो ऐसे में इंग्लिश ईयर पर एक्सप्रेशन प्रतिबंधित होने चाहिए क्योंकि यह भविष्य में दिक्कत कर सकते हैं

वाडिया भूगर्भ संस्थान के रिपोर्ट को लेकर पर्वतारोहण से जुड़े लोगों का भी मानना है कि ग्लेशियर बचाए जाने बेहद जरूरी हैं लेकिन यह भी कहना सही नहीं होगा कि उत्तराखंड में ग्लेशियर मैं ट्रैकिंग बिल्कुल प्रतिबंधित कर दी जाए। उत्तराखंड के आईपीएस ऑफिसर संजय गुंज्याल भारत के एकमात्र ऐसे पुलिस अधिकारी हैं जो 15 पुलिस के जवानों का दल लेकर एवरेस्ट फतेह कर लौटे हैं। संजय गुंज्याल का मानना है कि वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर कुछ प्रतिबंध लगाने जरूरी हैं लेकिन सभी स्थानों पर पर्यटकों और ट्रैकर्स को रोकना सही नहीं होगा क्योंकि उत्तराखंड के पहाड़ी स्थानों पर कई जगह लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने में भी इस तरह के एडवेंचर टूरिज्म का विशेष योगदान रहा है।

गंगोत्री ग्लेशियर को लेकर राज्य और केंद्र सरकार को कुछ बड़े कदम उठाने होंगे क्योंकि गंगा का उद्गम गंगोत्री ग्लेशियर है और ऐसे में अगर गंगोत्री ग्लेशियर तेजी से पिघलता है तो गंगा की अविरल था और गंगा के बहाव में बहुत तेजी से कमी आएगी ऐसे में जरूरत है कि कुछ ठोस कदम उठाए जाएं

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