उत्तराखंड के बॉर्डर से लगे हुए गाँव में DSPT यानि डिजिटल सॅटॅलाइट फ़ोन टर्मिनल्स  बंद होने से सीमाओं पर बसे गाँव के लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ,दरअसल बॉर्डर के जिलों  में कम्युनिकेशन के लिए DSPT फ़ोन लगाये गए थे लेकिन  लगभग  एक हजार से ज्यादा DSPT सेवाएं बंद होने से सीमावर्ती क्षेत्रों में कम्युनिकेशन होना मुश्किल हो गया है.

जून 2019 में DSPT फ़ोन बंद होने से  सीमावर्ती क्षेत्रों में कम्युनिकेशन होना मुश्किल हो गया है. सैटेलाइट लाइसेंस की अवधि समाप्त होने के चलते पूरे देश में DSPT सेवाएं बंद हो गई हैं. बॉर्डर के जिलों में ITBPऔर SSB को सबसे ज्यादा DSPT सेवाएं दी गई थीं. क्योंकि चीन,नेपाल की सीमा से सटे हुए गांव है और जहा मोबाइल कम्युनिकेशन नहीं है. पहले स्थानीय लोग 4 से 5 रुपए प्रति मिनट तो पैरा मिलिट्री फोर्सेज के जवान 1 रुपये प्रति मिनट की दर से देश में कहीं भी बात कर सकते थे.लेकिन अब ग्रामीणों को सॅटॅलाइट फ़ोन से कॉल करने के लिए प्रति मिनट 20 से 25 रूपये देने पड़ रहे है इसे में ग्रामीण काफी परेशान  है वही  प्रदेश के मुख्यसचिव उत्पल कुमार सिंह भी मानते है कि DSPT सेवाएं बंद परेशानियाँ हो रही है इसकी जगह वैकल्पिक व्यवस्था की  जा रही है

प्रदेश  के सीमावर्ती जिले  में  DSPT फ़ोन की कुछ जगह फिलहाल सॅटॅलाइट फ़ोन की व्यवस्था है वही सॅटॅलाइट फ़ोन की कॉल रेट DSPT फ़ोन से काफी ज्यादा है  इसलिए वहा के लोग नेपाल के सिम यूज़ कर रहे है क्योकि भारतीय मोबाइल टावर कम ही लगे है इन्हीं परेशानियों के कारण सीमावर्ती क्षेत्र धारचूला के ग्रामीणों में संचार व्यवस्था को  ठीक करने के लिए प्रदर्शन भी  किया था अब ऐसे में धारचूला क विधायक हरीश धामी ने कहा है  कि बॉर्डर के एरिया में कम्युनिकेशन सिस्टम बेहद ख़राब है इसलिए वहा सिस्टम ठीक किया जाये क्योकि अगर कम्युनिकेशन सिस्टम ठीक नहीं  हुआ तो ये सिर्फ प्रदेश  नहीं बल्कि  देश के लिए भी बड़ा खतरा है

किसी भी  देश के  सीमाओं में बसे गाँव उस देश की आँख,कान होते है लेकिन अगर सीमाओं पर बसे गाँव का कम्युनिकेशन सिस्टम बंद हो जाये तो आप मान सकते है कि देश की  सुरक्षा पर कितना बड़ा खतरा पैदा हो जायेगा | इसलिए जल्द से जल्द सरकार को बॉर्डर्स के क्षेत्रों में कम्युनिकेशन सिस्टम ठीक करना होगा नहीं तो कारगिल जैसी घटना उत्तराखंड में भी  हो सकती है

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