भारतीय सेना को 306 नए सैन्य अधिकारी मिल गए हैं । इस बार भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड इस बार बेहद खास थी क्योंकि पासिंग आउट परेड के मौके पर इस बार भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बतौर परेड रिव्यूइंग ऑफिसर बनकर पहुंचे थे।
भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना 1932 में हुई हालांकि शुरुआत में इसे इंडियन मिलिट्री कॉलेज के नाम से जाना जाता था। 1931 में लंदन में राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस हुई जिसकी अध्यक्षता सर फ्लिप चेटवुड ने की । इसके बाद 1932 में देहरादून के आउटर क्षेत्र में एकेडमी की स्थापना की गई। पहले बैच में 40 कैरेट के साथ एकेडमी की शुरुआत हुई और इस कोर्स का नाम पायनियर रखा गया। पहला बैच इसलिए भी खास था क्योंकि इसमें तीन ऐसी शख्सियत ट्रेनिंग ले रही थी जिन्होंने बाद में अपने अपने देश की सेनाओं का प्रतिनिधित्व किया। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ जो भारतीय सेना के सेनाध्यक्ष और फील्ड मार्शल बने, जनरल मूसा खान जो बाद में पाकिस्तानी सेना के सेनाध्यक्ष बने, जनरल स्मिथ डन वर्मा के सेना अध्यक्ष बने। भारतीय सैन्य अकादमी का गौरवमई इतिहास किसी से भी छिपा नहीं है । कैडेट्स को कठिन परिश्रम और ट्रेनिंग से होकर गुजरना पड़ता है क्योंकि एक बेहतर अफसर बनाने के लिए यह जरूरी भी है। इंडियन मिलट्री अकैडमी में कैडेट्स को डेढ़ साल की ट्रेनिंग दी जाती है साल में जून और दिसंबर में दो बार पासिंग आउट परेड आयोजित की जाती है।
भारतीय सैन्य अकादमी इस बार की पासिंग आउट परेड के मुख्य अतिथि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रिव्यूइंग आफिसर आफ परेड रहे , राजनाथ सिंह ने परेड की सलामी ली । जेंटलमैन कैडेट्स की परेड देखने लायक होती है और पासिंग आउट परेड के मौके पर उनका परिश्रम और अनुशासन इस परेड के जरिए देखने को मिलता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कैडेट्स को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें गर्व है कि देश को 306 नए जोशीले और वीर सैन्य अधिकारी मिल रहे हैं। भारतीय सैन्य अकादमी में अपने डेढ़ साल की कठिन ट्रेनिंग के बाद यह असर देश की सेना में सम्मिलित होने जा रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की सीमाओं पर जब ऐसे वीर फौजी खड़े रहते हैं तो दुश्मनों की हिम्मत नहीं है कि वह देश पर आंख भी उठा कर देख सकें। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान जिस तरह से अभी भी अपनी नापाक हरकतें नहीं बंद कर रहा है जरूरत पड़ने पर देश की सेनाएं उसे मुंहतोड़ जवाब देंगी भारत के 26 /11 के मास्टरमाइंड आज भी पाकिस्तान में छिपे हुए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा मैं वीर जवानों को भरोसा दिलाता हूं कि जब भी बतौर रक्षा मंत्री उन्हें मेरी जरूरत होगी मैं हमेशा उनके साथ खड़ा हूं पासिंग आउट परेड के मौके पर कदमताल करते जेंटलमैन कैडेट्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है अंतिम पग पार करने का समय। जेंटलमैन कैडेट्स ड्रिल स्क्वायर से जब अंतिम तक पार करते हैं तो भारतीय सेना के चेतक हेलीकॉप्टर के जरिए उन पर गुलाब की पंखुड़ियां भी बरसाई जाती हैं। ड्रिल स्क्वायर में भारतीय सैन्य अकादमी के इन कैडेट्स की कदमताल की आवाज दुश्मन को डराने के लिए काफी है।
जेंटलमैन कैडेट्स की परेड के बाद पीपिंग सेरेमनी और ओथ सेरेमनी आयोजित की जाती हैं।
पीपिंग सेरेमनी भारतीय सैन्य अकादमी के सोमनाथ ग्राउंड में आयोजित की जाती है। कुमाऊँ रेजीमेंट के मेजर सोमनाथ को कौन नहीं जानता भारत का पहला परमवीर चक्र पाने वाले मेजर सोमनाथ शर्मा के नाम पर भारतीय सैन्य अकादमी के ग्राउंड का नाम सोमनाथ ग्राउंड रखा गया है। पीपिंग सेरेमनी वो पल होता है जब एक जेंटलमैन कैडेट्स के परिजन उसके कंधों पे सितारे सजाते हैं। जिसके बाद एक जैंटलमैन कैडेट भारतीय सेना का लेफ्टिनेंट ऑफिसर बन जाता है। पीपिंग सेरेमनी में परिजनों की आंखों के आशु इस बात के गवाह हैं कि उनकी सालों की मेहनत सफल हो गई।