गलवान घाटी की खूनी झड़प लद्दाख पर चीन के गलत मंसूबों का सुबूत है.हालाकिं जमीन के भूखे चीन की नज़र सिर्फ लद्दाख पर ही नही बल्कि हिंदुस्तान में दाखिल होने के लिए उत्तराखंड भी चीन के निशाने पर है ऐसा इसलिए क्योंकि सूबे के 3 जिले चीनी सीमा से सटे हुए हैं.चिंता की बात ये है कि इन इलाकों में भारतीय सेना का सूचना तंत्र धीरे-धीरे कमजोर पड़ता जा रहा है।
उत्तराखंड का चीन से सटा इलाका सामरिक दृष्टि से बेहद खास है.बावजूद इसके पिछले कई सालों से इन क्षेत्रों में सूचना तंत्र को भारी नुकसान हुआ है.बॉर्डर पर देश की आंख-कान कहे जाने वाली आबादी पलायन कर रही है.वो बात अलग है कि चीन की हरकतों को केंद्र ने पहले ही भांपकर करीब 8 महीने पहले ही सीमावर्ती क्षेत्र की रिपोर्ट तैयार कर ली थी.उत्तराखंड के तीन जिलों के चार ब्लॉक चीन बॉर्डर से जुड़े हुए हैं.इसमें उत्तरकाशी का भटवाड़ी, चमोली का जोशीमठ और पिथौरागढ़ का मुनस्यारी और धारचूला है.खास बात ये है कि मोदी सरकार ने चीन की पैतरेबाजी को समझते हुए साल 2019 के सितंबर को चीन के बॉर्डर क्षेत्रों की पूरी रिपोर्ट राज्यों से मंगवा ली थी.
उत्तराखंड की तरफ से पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को बॉर्डर के हालातों की जानकारी दी थी.इससे पहले चीन सीमा से सटे हुए राज्य हिमाचल, लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से भी रिपोर्ट मांगी गई थी.यही नही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद की एक टीम ने उत्तराखंड पहुंचकर यहां का भी दौरा किया था।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की इस एक्सरसाइज का मकसद बॉर्डर क्षेत्रों में भारतीय सेना का सूत्र तंत्र बढ़ाना और भारत की आंख और कान कहे जाने वाले सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को पलायन होने से रोकना था। उत्तरकाशी जिले के सीमावर्ती क्षेत्र के रहने वाले जगमोहन सिंह रावत बताते हैं कि इन इलाकों में पलायन को रोकने के लिए मूलभूत सुविधाओं का बेहतर होना बेहद जरूरी है ताकि चीन को इन इलाकों में घुसपैठ से रोका जा सके।
उत्तराखंड के चीन से लगे 4 विकासखंड भटवाड़ी, जोशीमठ, मुनस्यारी और धारचूला है.जहां बड़ी संख्या में पलायन हुआ है. उत्तराखंड पलायन आयोग की रिपोर्ट बताती है कि इन सीमावर्ती जिलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी दे बॉर्डर क्षेत्र से लोगों को शहरों की तरफ रुख करने के लिए मजबूर कर दिया है। जिससे सीमा पर कई गांव खाली हो गए हैं.और इससे अब चीनी सेना की घुसपैठ के हालात में भारतीय सेना या प्रशासन को जानकारी मिलना बेहद मुश्किल हो सकता है।
दरअसल बॉर्डर क्षेत्र में गांव के आबाद होने से चीनी सेना की घुसपैठ और बॉर्डर पार करने की कोशिश आसानी से सेना को स्थानीय लोगों से पता चल जाती हैं, लेकिन अब गांव खाली होने से चीन की सेना के घुसपैठ का खतरा बढ़ गया है।
पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सीमावर्ती जिला उत्तरकाशी में 41.77 प्रतिशत लोगों ने रोजगार के चलते पलायन किया, चिकित्सा सुविधा के कारण 6.04 प्रतिशत लोग पलायन कर गए.शिक्षा व्यवस्था न होने से 17.44 प्रतिशत लोग यहां से चले गए.जबकि आधारभूत संरचना जिसमें सड़क और दूसरी सुविधाएं है उसके कारण करीब 3% लोगों ने पलायन किया।
चमोली जिले में 49.3% लोगों ने रोजगार न मिलने के कारण गांव छोड़ दिया, खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण 10.83 प्रतिशत, खराब शिक्षा के कारण 19.73 प्रतिशत, जबकि आधारभूत संरचना जिसमे सड़क सुविधा शामिल है के कारण 5 प्रतिशत लोग पलायन कर गए.
तीसरा जिला पिथौरागढ़ है जहां 42.81% लोग रोजगार के कारण गांव छोड़ कर चले गए.. स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण 10.13% लोग जबकि खराब शिक्षा व्यवस्था के कारण और 19. 52% लोगों ने पिथौरागढ़ में अपने गांव को छोड़कर पलायन किया। इसी तरह 5% लोगों ने सड़क और दूसरी आधारभूत सुविधाएं न मिलने के कारण पिथौरागढ़ के गांव छोड़ दिए।
हालांकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि एकाएक पलायन नहीं होता है और रिवर्स पलायन करवाने की कोशिशें सरकार कर रही है।