विश्व भर में बड़ी तेजी से कई जीव जंतु विलुप्त हो रहे हैं। और इन्हीं में एक ऐसा पक्षी भी है जो बड़ी तेजी से विलुप्त हो रहा है। हालात ऐसे हैं कि पूरे विश्व मैं अब इस प्रजाति के केवल डेढ़ सौ पक्षी ही शेष रह गए हैं.ग्रेट इंडियन बस्टर्ड एक ऐसा पक्षी है जो सबसे ज्यादा भारी भरकम पक्षियों में गिना जाता है। हालांकि पहले यह पक्षी विश्व के कई देशों में पाया जाता था। जिनमें भारत और पाकिस्तान प्रमुख रहे हैं। लेकिन अब सिर्फ भारत में ही 148 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड शेष रह गए हैं।  स्थानीय भाषा में इसे गोडावण कहा जाता है। यह राजस्थान का राज्य पक्षी है।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को कई साल पहले राष्ट्रीय पक्षी घोषित करने पर भी काफी विचार हुआ हालांकि बाद में मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया। करीब 1 मीटर लंबे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का वजन 15 किलो के करीब होता है। लेकिन यह तेजी से विलुप्त होने की कगार पर खड़े हैं। भारत  में ही विश्व के 148 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड मौजूद हैं। ऐसे में इन की पैदावार बढ़ाने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाक्टर वाई वी झाला और उनके साथ ही वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं। डॉ झाला बताते हैं की ग्रेट इंडियन बस्टर्ड बहुत खूबसूरत और सबसे भारी भरकम पक्षियों में एक है। इसे बचाने के लिए वैज्ञानिक युद्ध स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इसे सबसे ज्यादा नुकसान बिजली की हाईटेंशन तारों से होता है। क्योंकि बिजली की तारों में टकराकर अक्सर इसकी मौत हो जाती है।

मौजूदा समय में यह पक्षी सिर्फ भारतवर्ष में जीवित है और इनकी कुल संख्या 148 है। विलुप्ति की कगार में पहुंच चुके इस पक्षी को बचाने और इसकी वंश वृद्धि की जिम्मेदारी भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों को सौंपी गई है। हाल ही में वैज्ञानिक प्रयोगशाला में द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के अण्डों से 7 चूजे पैदा करने में कामयाब हुए हैं। सातों चूजे स्वस्थ्य हैं, जिनसे वैज्ञानिकों की उम्मीदों को पंख लगने लगे हैं।

द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को सोन चिरैया भी कहा जाता है । यह  शुतुरमुर्ग जैसा दिखता है।  इनकी टांगें लम्बी और नंगी होती हैं । घास के मैदान में रहने वाले यह पक्षी कीड़े, घास के बीज, बाजरा, बेर और रेंगने वाले जानवरों को खाता है। यह करिश्माई पक्षी इतना खूबसूरत होता है कि इसे भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित करने पर विचार हुआ था लेकिन बाजी मोर के हाथ लगी। इस पक्षी का प्राप्ति स्थल सिर्फ और सिर्फ भारत देश है। यहां राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में ये पक्षी मौजूद हैं, जिनकी कुल संख्या 148 है। यही वजह है कि IUCN ने रेड लिस्ट में इसे ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ पक्ष प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया है।

भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), देहरादून के वैज्ञानिक द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पर लगातार शोध कर रहे हैं ताकि इसका संरक्षण और संवर्धन किया जा सके। अब तक के शोध में इनके प्राकृतिक वास में कमी इन पक्षियों को विलुप्त होने की एक मुख्य वजह है। बिजली के तारों से टकराने, जंगली कुत्तों के हमले, सड़कों पर आकस्मिक दुर्घटना और शिकार की वजह से भी यह तेजी से विलुप्त हो रही है। सबसे चिंताजनक बात है कि द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की औसत आयु सिर्फ 12 वर्ष है।

इसके अलावा यह पक्षी बहुत ही धीमा प्रजनक है। अति विशिष्ट परिस्थितियों में ही प्रजनन के लिए इसका मूड बनता है। यही कारण है कि संरक्षित अवस्था में इसकी वंश वृद्धि ना के बराबर हो पाती है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक  डाक्टर वाई वी झाला ने बताया है कि राजस्थान की लैब में भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों के प्रयास से 7 चूजे पैदा हो चुके हैं, जिन्हें प्रयोगशाला में ही भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है। वैज्ञानिकों की मुहिम रंग ला रही है अगर इसी तरह द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की तादाद बढ़ती रही तो भविष्य की पीढ़ियों को यह पक्षी अपने इसी रंग रूप में नजर आएगा लेकिन अगर द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की तादाद नहीं बढ़ सकी तो भविष्य के लोगों को इस पक्षी का सिर्फ इतिहास ही पढ़ने को मिलेगा।

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