पंयाचत चुनाव संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन विधेयक के मुताबिक जिन लोगों की दो से अधिक संतान हैं और इनमें एक का जन्म इस प्रावधान के प्रवृत्त होने की तिथि से 300 दिन के पश्चात हुआ है, वह भी चुनाव लड़ नहीं सकते। इसके साथ ही शैक्षिक योग्यता भी निर्धारित कर दी गई है। विधेयक के मुताबिक पंचायत का कोई भी प्रतिनिधि एक साथ दो पद धारण नहीं कर सकेगा। यदि किसी सदस्य का नाम उससे संबंधित क्षेत्र की निर्वाचक नामावली से निकाल दिया गया हो तो संबंधित व्यक्ति पंचायत का प्रमुख अथवा सदस्य नहीं रह पाएगा। यदि किसी ने सरकारी धन का गबन किया हो, उसे विरुद्ध सरकारी धन की वसूली चल रही हो या उस पर शासकीय धन बकाया हो, वह चुनाव लडने के लिए अपात्र होगा।
उत्तराखंड में हरिद्वार जिले को छोड़कर सभी जिलों के पंचायतों का कार्यकाल जुलाई में खत्म होने जा रहा है। ऐसे में अगस्त-सितम्बर में पंचायत चुनाव प्रस्तावित है। पंचायतीराज (संशोधन) अधिनियम 2019 पर राज्यपाल की मुहर के बाद आगामी चुनाव में यह बदलाव लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। जिस दिन एक्ट लागू होगा उस दिन से 2 से ज्यादे बच्चे वाले लोग पंचायत चुनाव नही लड़ सकेंगे। विधेयक में कहा गया है कि दो बच्चों से अधिक वाले ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। वहीं चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी की शैक्षणिक योग्यता भी निर्धारित की गई है। जिसमे सामान्य वर्ग के लोगों के लिए 10वीं अनिवार्य किया गया है। एससी-एसटी के लिए 8वीं अनिवार्य किया गया है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इन संसोधनों पर सवाल खड़े हुए त्रिवेन्द्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ आंदोलन की बात कही है।
उत्तराखण्ड में करीब 50 हजार पंचायत प्रतिनिधि चुनाव से चुने जाते हैं। राज्य का अपना पंचायतीराज एक्ट 2016 में अस्तित्व में आया था। इसके बाद वर्तमान में राज्य सरकार ने इसमें संशोधन करने का निर्णय लिया। सरकार ने एक्ट में नगर निकायों की तरह ही पंचायतों में चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों की शर्त और न्यूनतम शैक्षिणक योग्यता के बदलाव पर जोर दिया। बता दें कि उत्तराखंड में अकेले हरिद्वार को छोड़कर पंचायतों का कार्यकाल जुलाई में खत्म होने जा रहा है। इसके चलते चुनाव अब सितंबर में हो सकते हैं। अगर इस संशोधन विधेयक के कानून बनने के बाद उसी के आधार पर चुनाव होते हैं तो कई लोग यह चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। जिनका पक्ष लेते हुए कांग्रेस विरोध प्रदर्शन की बात कह रही है। वहीं भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेन्द्र भसीन ने विधेयक को जनहित में बताते हुए कांग्रेस पर बिना वजह राजनीति करने का आरोप लगाया।
त्रिवेन्द्र सरकार नए संशोधित विधेयक के आधार पर आने वाले पंचायत चुनाव कराने की तैयारी में है। वहीं कांग्रेस ने इस पर आंदोलन की बात कह रही है। अब देखना होगा सत्ता-विपक्ष की इस नूरा कुश्ती का क्या रिजल्ट आने वाले दिनों में देखने को मिलता है।