विधानसभा की समितियों को लेकर ऐसा लापरवाह रवैया हरगिज़ बर्दाश्त नही किया जा सकता.मामला विधायी कार्य, विकास से जुड़ी नीतियों और दूसरे जरूरी कामकाज का है.ऐसे में विधायकों की उदासीनता और अधिकारियों की लापरवाही समितियों के मकसद पर ही सवाल खड़े कर रही है.

विधानसभा में ऐसी कई समितियां गठित की जाती है जो प्रदेश की तमाम नीतियों और विधानसभा के कार्यों को लेकर समीक्षा करती है.लेकिन इतने महत्वपूर्ण मामलों पर भी विधायक कुछ ज्यादा गंभीर नहीं हैं.यह बात उस रिकॉर्ड को देखकर कही जा सकती है.जिसमें साफ है कि करीब साल भर से विधानसभा में तमाम समितियों की बैठक नहीं हो पा रही है.जानकारी के अनुसार मार्च 2019 से अबतक विधानसभा में मौजूद अधिकतर समितियों की बैठक नहीं हुई है इसकी वजह विधायकों की समितियों को लेकर उदासीनता को बताया जा रहा है सबसे बड़ी बात है कि कई बार बैठ के विधायको के ना आने के कारण स्थगित कर दी जाती है। मामले पर विधानसभा अध्यक्ष ने भी चिंता जताते हुए सभी विधायकों को इसके लिए निर्देश देने की बात कही है।

विधानसभा में लोक लेखा समिति की बैठक 21 फरवरी 2019 के बाद से अब तक नहीं की गयी है, प्राक्कलन समिति की बैठक 3 जुलाई 2019 के बाद नहीं हुई है.सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम समिति की बैठक 15 जुलाई 2019 के बाद नहीं हुई है.अनुसूचित जाति जनजाति समिति की बैठक भी 24 जुलाई 2018 के बाद से नही हुई है.सरकारी आश्वासन समिति की बैठक 18 जनवरी 2019 के बाद से नहीं हुई है.याचिका समिति की बैठक 23 जुलाई 2019 के बाद नहीं हुई. आवाज समिति की बैठक भी 23 जुलाई 2019 के बाद नहीं हो पाई है.संस्कृत भाषा प्रोत्साहन समिति की बैठक 20 सितंबर 2018 के बाद से ही नही हो पाई.सूचना प्रौद्योगिकी समिति की बैठक 7 दिसंबर 2019 के बाद नहीं हुई. सबसे खराब स्थिति तो आचार समिति की है जिसकी बैठक उसके गठन के बाद से अब तक एक बार भी नहीं हुई।

विधायक को पर समितियों को लेकर लापरवाह रवैया अपनाने का रोक लगा तो विधायकों ने भी इसे अधिकारियों की गलती बता दिया.विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष करण मेहरा ने इसके लिए सरकार को दोषी ठहराया,विधायक ने कहा कि वह भी कई समितियों में हैं और क्योंकि समितियों के फैसले ना तो अधिकारी सुनते हैं ना इसका जवाब देते हैं ऐसे में विधायकों की रूचि समितियों को लेकर खत्म हो रही है।

हकीकत ये है कि समितियों के कामकाज पर विधायकों का कोई ध्यान ही नहीं है।जबकि समितियां न केवल विधानसभा के कार्यों बल्कि आम लोगों की समस्याओं को लेकर भी बेहद महत्वपूर्ण हैं।

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