चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले दो धामों के रावल को उत्तराखंड लाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। श्रीकेदारनाथ धाम के रावल अभी महाराष्ट्र नांदेड और श्री बदरीनाथ धाम के रावल केरल में मौजूद हैं। लॉकडाउन में उन्हें लाने को केंद्र सरकार से संपर्क साधा गया है

श्रीकेदारनाथ धाम के रावल का 24 अप्रैल तक उत्तराखंड पहुंचना जरूरी है, क्योंकि उन्हें ऊखीमठ से चलने वाली बाबा केदार की डोली की पूर्जा अर्चना करनी है। बाबा को सोने का मुकुट पहनाने के साथ ही धाम में भी पूजा अर्चना उन्हीं के हाथों होती है। केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल और श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 30 अप्रैल को खुलने हैं। ऐसे में जल्द से जल्द दोनों रावल को कैसे उत्तराखंड लाया जाए, इसके लिए केंद्र से सहयोग व विशेष मंजूरी भी ली जा रही है।

दूसरे विकल्पों पर भी विचार

देवस्थानम बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन ने बताया कि यदि रावल किसी कारण नहीं पहुंच पाते, तो दूसरे विकल्पों पर भी विचार हो रहा है। या उनके पहुंचने पर उन्हें केंद्र की गाइड लाइन के अनुसार कोरंटाइन करना पड़ा, तो उस स्थिति से कैसे निपटा जाएगा, उस पर भी विचार हो रहा है।

उन्हें वहीं होम कोरंटाइन करने व ऑनलाइन पूजा अर्चना करने के विकल्प के साथ ही दूसरी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं को देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि श्री बदरीनाथ धाम की पूजा अर्चना के लिए टिहरी के राजा की ओर से दूसरे विकल्प तय करने की भी व्यवस्था है। उस व्यवस्था का भी अध्ययन हो रहा है।तय समय पर खुलेंगे धामों के कपाटसीएम त्रिवेंद्र रावत ने स्पष्ट किया कि चारों धामों के कपाट तय समय पर ही खुलेंगे। इसके लिए सभी व्यवस्थाएं हैं। लोग कपाट खुलने के दौरान होने वाली पूजा अर्चना को देख सकें, इसके लिए ऑनलाइन दर्शन की भी व्यवस्था पर विचार हो रहा है। ताकि श्रद्धालु घर बैठ कर भी दर्शन कर सकें।

श्री केदारनाथ धाम के रावल लिंगायत समुदाय से आते हैं। वे अभी महाराष्ट्र के नांदेड में हैं। बदरीनाथ धाम के रावल केरल में हैं। उनकी 22 अप्रैल की फ्लाइट भी बुक थी। लेकिन अब परिस्थिति बदल चुकी है। ऐसे में केंद्र से विशेष मंजूरी मांगी गई है। ताकि चार्टेड प्लेन या सड़क मार्ग से आने की मंजूरी दी जाए

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