उत्तराखंड में कर्मकार कल्याण बोर्ड और पाखरो में टाइगर सफारी को लेकर भाजपा विधायक दिलीप रावत के बयान पर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने चुप्पी तोड़ते हुए प्रेसवार्ता की, प्रेस वार्ता में हरक सिंह रावत का आक्रामक अंदाज नजर आया ।

श्रम मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने दावा किया कि उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने मार्च 2017 से अक्टूबर 2020 तक उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। साढ़े तीन साल की इस अवधि में लेबर सेस के रूप में बोर्ड ने 380 करोड़ रुपये जुटाए। सेना, रेलवे, ऑल वेदर रोड परियोजना से भी लेबर सेस प्राप्त किया गया। इससे पहले 2010 से 2017 तक 176 करोड़ रुपये लेबर सेस प्राप्त हुआ था। उन्होंने कहा कि कोई भी जांच हो जाए, उससे हो सकता है कि थोड़ी देर के लिए भ्रम हो जाए। अलबत्ता, कागज की सच्चाई और तथ्यों को झुठलाया नहीं जा सकता।

श्रम मंत्री डॉ रावत मार्च 2017 से अक्टूबर 2020 तक कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रहे थे। उनके कार्यकाल में हुए कार्यों को लेकर अंगुलियां उठ रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने भी बोर्ड पर सवाल उठाए थे। इस सबको देखते हुए श्रम मंत्री डॉ रावत ने सोमवार को बोर्ड के अध्यक्ष पद पर रहते हुए अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने कहा कि 2010 से मार्च 2017 तक बोर्ड में केवल 1.90 लाख श्रमिक पंजीकृत हुए, जबकि पिछले साढ़े तीन वर्षों में 1.80 श्रमिक पंजीकृत किए गए।

उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बोर्ड में पैसा तो जमा हुआ, मगर इसे श्रमिकों के हित में खर्च नहीं किया गया। उन्होंने इस संबंध में श्रमिकों की मृत्यु, बच्चों की शिक्षा, बेटी के विवाह, बेटी के जन्म पर बोर्ड की ओर से दी जाने वाली सहायता राशि के तुलनात्मक आंकड़े भी पेश किए।

एक सवाल पर उन्होंने कहा कि बोर्ड ने जो भी खरीद की, उसमें प्रोक्योरमेंट नियमावली का पालन किया गया। खरीद के लिए केंद्र की दो एजेंसियों टीसीएल और आइटीआइ को नामित किया गया। इसमें पूरी पारदर्शिता रही। जहां शिकायतें आई, उन्हें इन एजेंसियों के माध्यम से दूर कराया गया। साथ ही श्रमिकों को जो भी पैसा दिया गया, वह सीधे उनके बैंक खातों में भेजा गया। उन्होंने कहा कि सामग्री वितरण में हो सकता है कि कहीं उन्नीस-बीस हुआ हो, मगर इसके लिए मंत्री या अध्यक्ष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

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