उत्तराखंड में स्कूलों द्वारा मनमाफिक फीस लिए जाने और अभिभावकों के शोषण की शिकायतों के बाद अब सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने बताया कि अब विद्यालयों में स्कूल फीस के मामले हो, अभिभावकों के शोषण के मामले या फिर विद्यालयों में काम करने वाले अध्यापकों के वेतन के मसले हो इन सभी में सख्त कदम उठाते हुए न्याय मिल सके। इसके लिए सरकार ने विद्यालय नियामक प्राधिकरण का गठन किया है।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति के तहत विद्यालय नियामक प्राधिकरण शिक्षा के स्तर में सुधार लाने सहित अभिभावकों व शिक्षकों की शिकायतों के निवारण के लिए प्रभावी रूप से काम कर सकेगा। यही नहीं, अरविंद पांडे ने कहा कि यह प्राधिकरण फीस एक्ट से 4 गुना ज्यादा मजबूत होगा, जिससे कि चौतरफा लगाम लग सकेगी।
उत्तराखंड में शिक्षा के स्तर को सुधारने से लेकर शिक्षा के स्वरूप को बदलने के लिए यह विद्यालय नियामक प्राधिकरण मील का पत्थर साबित होगा। इसके साथ ही मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए कक्षा एक से 5 तक बंगाली गुरमुखी जौनसारी कुमाऊनी और गढ़वाली भाषा पढ़ाई जाएगी।