उत्तराखंड सरकार के गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग ने पेराई सत्र 2025-26 के लिए नई गन्ना आपूर्ति एवं सट्टा नीति जारी की है। इस नीति में गन्ना किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं।  सौरभ बहुगुणा के कुशल मार्गदर्शन में तैयार की गई इस नीति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें पहली बार महिला किसानों को प्राथमिकता दी गई है।

​गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग आयुक्त,  त्रिलोक सिंह मर्तोलिया ने बताया कि इस नई नीति का मुख्य उद्देश्य गन्ना किसानों को पारदर्शिता के साथ समय पर पर्चियाँ उपलब्ध कराना और उनके गन्ने का भुगतान सुनिश्चित करना है। इससे प्रदेश में गन्ना उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।

​नीति की प्रमुख विशेषताएँ
​महिला सशक्तिकरण: महिला किसानों को सशक्त बनाने के लिए उन्हें पेराई सत्र की शुरुआत से ही 20% की प्राथमिकता के साथ गन्ने की आपूर्ति की अनुमति दी जाएगी। यह कदम राज्य में महिला किसानों की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।
​छोटे किसानों को लाभ: 99 क्विंटल तक के छोटे गन्ना किसानों को उनकी पेड़ी गन्ने की पर्चियाँ पहले दो पखवाड़ों में जारी की जाएंगी। वहीं, 100 से 144 क्विंटल तक के किसानों को यह सुविधा पहले तीन पखवाड़ों में मिलेगी, जिससे उन्हें समय पर अपनी फसल बेचने में मदद मिलेगी।
​बेसिक कोटा निर्धारण: 2023-24 में प्राकृतिक आपदा से गन्ने की फसल को हुए नुकसान को देखते हुए, इस वर्ष बेसिक कोटा निर्धारित करने के लिए विशेष छूट दी गई है। किसानों को पिछले दो या तीन पेराई सत्रों में से, जिसमें उनकी आपूर्ति अधिक रही हो, उसके औसत के आधार पर बेसिक कोटा मिलेगा।
​समय पर भुगतान: इस नीति का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह किसानों को समय पर पर्ची उपलब्ध कराने और उनके गन्ने के मूल्य का समय पर भुगतान कराने पर केंद्रित है। इससे गन्ना किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी।

​इस नई नीति से उत्तराखंड के गन्ना किसानों में एक नई उम्मीद जगी है और माना जा रहा है कि इससे राज्य में गन्ना उत्पादन और किसानों की खुशहाली में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

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