देहरादून—जब सिस्टम लापरवाही करे और जिम्मेदार अधिकारी संवेदनशीलता दिखाएं, तब ही प्रशासन आम जनता का भरोसा जीतता है। कुछ ऐसा ही हुआ देहरादून में, जहां 72 वर्षीय बुजुर्ग महिला सरस्वती देवी की महीनों की परेशानी सिर्फ कुछ घंटों में खत्म हो गई, जब उन्होंने जिला अधिकारी सविन बंसल के समक्ष अपनी व्यथा रखी।

बुजुर्ग मां, तीन बेटे और ठप राशन कार्ड

अजबपुर निवासी सरस्वती देवी तीन विवाहित पुत्रों की मां हैं, लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर वह अकेली रह गई हैं। उनके सबसे छोटे पुत्र ने भी हाल ही में अपने परिवार संग अलग रहना शुरू कर दिया। अपनी विधवा पेंशन के सहारे गुजर-बसर कर रहीं सरस्वती को जब राशन डीलर ने यह कहकर राशन देने से मना कर दिया कि पूर्ति विभाग की सूची में उनका नाम नहीं है, तो वे हताश हो उठीं।

डीएम की जनसुनवाई में पहुंची गुहार

15 जुलाई को सरस्वती देवी खुद कलेक्ट्रेट पहुंचीं और डीएम सविन बंसल के समक्ष अपनी समस्या रखी। उन्होंने बताया कि पहले उन्हें नियमित रूप से राशन मिलता था, लेकिन विभागीय अनदेखी के चलते अब नाम सूची से गायब है।

डीएम ने न सिर्फ मामले को गंभीरता से लिया, बल्कि तत्काल पूर्ति अधिकारी को तलब किया और महिला को उसी दिन राशन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी का स्पष्ट निर्देश था कि बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे और असहाय व्यक्ति किसी भी प्रकार की उपेक्षा या शोषण के शिकार नहीं होने चाहिए — ऐसा होने पर जिम्मेदारों को दण्ड भुगतना पड़ेगा।

सिस्टम में हरकत आई, तुरंत हुआ समाधान

जैसे ही आदेश जारी हुए, पूर्ति विभाग के अधिकारी महिला के पास पहुंचे और उनके राशन कार्ड की बहाली के साथ उन्हें उसी दिन उनका कोटा का खाद्यान्न भी मुहैया कराया गया। यह कार्रवाई कलेक्ट्रेट की कलम चलने से पहले ही हो गई — जो प्रशासन की संवेदनशीलता और तत्परता का प्रतीक है।

डीएम कर रहे खुद मॉनिटरिंग

जिलाधिकारी सविन बंसल प्रतिदिन अपने कार्यालय में जनसमस्याएं सुनते हैं और विभागीय अधिकारियों को निस्तारण के निर्देश देते हैं। वे स्वयं इन शिकायतों की मॉनिटरिंग करते हैं और संबंधित विभागों से रिपोर्ट भी प्रतिदिन मंगाते हैं।

एक मिसाल बनी सरस्वती देवी की सुनवाई

यह मामला महज एक राशन कार्ड का नहीं, बल्कि उन हजारों बुजुर्गों की पीड़ा की झलक है जो सिस्टम की जटिलताओं में फंसकर बेसहारा हो जाते हैं। लेकिन जब प्रशासन संवेदनशीलता दिखाए, तो व्यवस्था में उम्मीद की किरण जगती है। सरस्वती देवी की मुस्कान अब सिर्फ उनका नहीं, बल्कि एक संवेदनशील प्रशासन का चेहरा भी बन चुकी है।

 

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