उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद गैरसैंण के विकास को लेकर प्रदेश सरकार तमाम कार्य योजनाओं पर फोकस कर रही है। आने वाले दिनों में इसके कई सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलेंगे। त्रिवेंद्र रावत सरकार ने गैरसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर राजनीतिक इच्छा शक्ति का बड़ा प्रमाण दिया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई में गैरसैंण विकास परिषद भी लगातार इस दिशा में जुटा हुआ है। राज्य गठन की अवधारणा पहाड़ी क्षेत्रों के विकास पर ही रही है और यही कारण है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार इस दिशा में कई कदम उठा रही है। गैरसैंण के मुद्दे पर पूर्ववर्ती सरकारों और राजनीतिक दलों की इच्छा शक्ति उतनी प्रबल कभी नजर नहीं आयी, जितनी वर्तमान त्रिवेंद्र सरकार की है। गैरसैण के विकास पर तत्कालीन विजय बहुगुणा की सरकार के बाद त्रिवेंद्र सरकार ने इसे धरातल पर उतारने का काम किया है। विजय बहुगुणा ने अपने कार्यकाल के दौरान गैरसैन को एक बड़ी सौगात देकर इसमें एक कदम आगे जरूर बढ़ाया। पहाड़ के नेता लगातार गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का दावा करते रहे, लेकिन जनप्रतिनिधियों में कभी उतनी गंभीरता नहीं दिखी जिसकी जनता को हमेशा से इंतजार रही है।
सालों बाद इस मुद्दे पर त्रिवेंद्र सरकार ने एक बड़ी पहल करते हुए इससे उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर विराम लगाने का काम किया है। हालांकि अभी भी उत्तराखंड वासियों को इस बात का इंतजार है कि आने वाले समय में गैरसैण पर सरकार एक बड़ा स्टैंड लेकर इसे स्थाई राजधानी घोषित करे। गैरसैंण को पूरे राज्य में एक मॉडल के रूप में विकसित करने की योजना पर काम किया जा रहा है। गैरसैण उत्तराखंड वासियों के लिए एक ऐसा संवेदनशील विषय है जिसको लेकर तमाम सपने बुने गए। गैरसैण उत्तराखंड की स्थाई राजधानी बने इसके लिए राजनीतिक दलो से जनता को काफी उम्मीदें रही और वर्तमान सरकार इसके लिए जरूरी कदम उठा रही है।