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देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने राज्यवासियों को शुद्ध और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जल जीवन मिशन के अंतर्गत एक नई पहल की शुरुआत की है। अब प्रत्येक जल स्रोत की नियमित रूप से जांच की जाएगी, जिससे जल की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सके।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित एपेक्स समिति की उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब हर वर्ष मानसून से पहले और बाद में वॉटर टेस्टिंग की जाएगी। इससे किसी भी प्रकार की अशुद्धि का समय रहते पता लगाया जा सकेगा और तत्काल समाधान सुनिश्चित किया जा सकेगा।

जल जीवन मिशन के प्रबंध निदेशक विशाल मिश्रा ने जानकारी दी कि यदि किसी जल स्रोत में गुणवत्ता की कमी पाई जाती है, तो जल संस्थान और जल निगम 24 घंटे के भीतर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि मिशन के अंतर्गत अधूरी योजनाओं को दिसंबर 2026 तक पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं।

योजनाओं की पारदर्शिता और निगरानी के लिए उन्हें पीएम गति शक्ति पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है। अब तक 15,000 किलोमीटर लंबी योजनाएं अपलोड की जा चुकी हैं और कुल 70,000 किलोमीटर की योजनाएं पोर्टल पर लाने का लक्ष्य है।

यह कदम राज्य के जल प्रबंधन को नई दिशा देगा और आम जनता को जल जनित बीमारियों से बचाने में भी सहायक होगा। यह पहल न केवल स्वास्थ्य सुधार की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि विकास की गति को भी मजबूती प्रदान करेगी।

 

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