उत्तराखंड के चमोली में प्रसिद्ध रूपकुंड और बेदनी बुग्याल ट्रेक है। जिसे देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक इस क्षेत्र में पहुंचते हैं। लेकिन हाईकोर्ट के आदेशों के बाद यहां पर्यटकों का आना पूरी तरीके से बंद हो चुका है जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को काफी परेशानी हो रही है क्योंकि उनका रोजगार पर्यटकों से ही चलता था ।

गौरतलब है कि अगस्त 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य के सभी बुग्यालों तथा उच्च हिमालय क्षेत्र की घाटियों को ईश्वर के आवास की संज्ञा देते हुए छह माह के भीतर उन्हें राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने के आदेश दिए थे। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य के सभी बुग्यालों में नाइट कैंपिंग बंद की जाए। कोर्ट ने तीन माह के अंदर बुग्यालों में बनाए गए स्थायी फाइबर हट्स को हटाने और बुग्यालों में रात में ठहरने पर भी रोक लगाने के आदेश दिए थे । कोर्ट ने इन बुग्यालों से औषधीय वनस्पति सीमित मात्रा में केवल सरकारी या पब्लिक सेक्टर संस्था से ही एकत्र कराने के निर्देश दिए थे । कोर्ट ने छह माह में इन बुग्यालों में पाए जाने वाले पौधों का हरबेरियम रिकॉर्ड तैयार करने के भी निर्देश दिए थे।

नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद बेदनी बुग्याल और रूपकुंड ट्रेक में पर्यटक का आना धीरे-धीरे कम होने लगा और अब स्थिति यह है कि यहां पर्यटक नहीं आते हैं। जिस वजह से स्थानीय लोगों को दाल रोटी के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। बेदनी रूपकुंड ट्रेक में अपनी एक छोटी सी दुकान लगाने वाले सुरेंद्र बिष्ट ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश का वह पालन करते हैं और वो भी चाहते हैं बुग्यालों का संरक्षण हो। और बुग्यालों में जानवरों पर भी पूर्ण प्रतिबंद होना चाहिए।लेकिन प्रशासन को कोई और भी रास्ता निकालना चाहिए जिससे यहां रहने वाले स्थानीय लोगों को रोजगार मिल पाए और उन्हें पलायन ना करना पड़े।

पर्यटकों को ट्रेक कराने वाले प्रोफेशनल ट्रैक्टर बलवीर सिंह दानू ने बताया कि पहले वे रोजाना लोगों को ट्रैक कर आते थे जिनसे वे अपने परिवार का खर्च चला पाते थे लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि उन्हें रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ रहा है साथ ही उन्होंने बताया कि बुग्यालों के बजाय किसी अन्य स्थान पर अगर कैंपिंग की जगह प्रशासन देता है तो उनका रोजगार भी पहले की तरह सुचारू हो पाएगा इससे बुग्यालों का संरक्षण भी होगा और पर्यटको की संख्या भी बढ़ेगी क्योंकि पिछले 1 साल में पर्यटक ना के बराबर क्षेत्र में पहुंचे हैं। ऐसे में हजारों परिवार बेघर हो जाएंगे अगर प्रशासन कोई व्यवस्था नहीं करता है इस मामले की पैरवी बेहतर तरीके से होनी चाहिए।

 

लोहाजंग के दिनेश कुण्डियाल ने बताया कि स्थानीय लोगों ने बड़े पैमाने पर अपनी जमीनें गिरवी रखकर लोन लिया है ऐसे में अगर पर्यटन का कारोबार चौपट होता है तो उनकी जमीनें भी खत्म हो जाएंगे और ऐसे में मजबूरन उन्हें पलायन करना होगा सरकार पलायन रोकने के दावे तो कर रही है लेकिन पलायन को लेकर इस ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है।

चमोली के देवाल ब्लॉक के लोहाजंग और वाण क्षेत्र के हजारों लोग पर्यटन के कारोबार से ही जुड़े हुए हैं। लोगों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेशों को मानते हुए प्रशासन कोई बीच का रास्ता निकालें जिससे पर्यावरण भी बेहतर रहे और स्थानीय लोगों का कारोबार भी ख़त्म ना हो।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed