उत्तराखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन प्रश्नकाल में डेंगू के सवाल पर विपक्ष ने जमकर हंगामा काटा। भगवानपुर से कांग्रेस विधायक ममता राकेश ने प्रदेश में डेंगू से हुई मौतों के आंकड़े को लेकर सवाल किया जिस पर संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक में जवाब दिया कि प्रदेश में इस साल डेंगू से 8 मौतें हुई हैं। जिस पर पूरा विपक्ष आक्रामक हो गया कि प्रदेश में डेंगू से सैकड़ों मौतें हुई है लेकिन सरकार केवल 8 मौतें बता रही है। नेता प्रतिपक्ष इंद्र एड्रेस ने संसदीय कार्य मंत्री के द्वारा गलत जानकारी दिए जाने को लेकर विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी देने की बात कही है । वही कांग्रेसी विधायक ममता राकेश का कहना है कि हरिद्वार जिले में कई मौतें डेंगू से हुई हैं । यहां तक कि खुद उन्हें भी डेंगू हुआ था और भाजपा कार्यकर्ता की मौत भी डेंगू से हुई है। जिसकी जानकारी आंकड़ों में सरकार के द्वारा नहीं दी गई है। वहीं ममता राकेश का कहना है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में डेंगू से हुई लोगों की मौत पर सरकार को मृतक परिवारों को मुआवजा देना चाहिए।
टीएचडीसी के एनटीपीसी में विलय करने के मामले को लेकर आज सदन में विपक्ष ने नियम 310 के तहत चर्चा करने की मांग की लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने नियम 58 के तहत टीएचडीसी के विलय के जाने पर चर्चा करें जिसमें मैं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि अभी टिहरी क्षेत्र में पुनर्वास शहीत बहुत सी समस्याएं अधूरी हैं टीएसडीसी एक बेहतर संस्था है इसको एनटीपीसी को सौंपा जाना गलत है कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा टीएचडीसी बेहतर काम कर रही है सत्ता पक्ष के मन में भी टिहरी जल विद्युत परियोजना को लेकर पीड़ा है लेकिन केंद्र सरकार टिहरी जल विद्युत परियोजना को निजी हाथों में सौंपना चाहती है जिसके लिए यह सारी प्लानिंग हो रही है विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने कहा की टीएचडीसी उत्तराखंड का गौरव है और यह राज्य की 10 जलविधुत परियोजनाओं को देख रही है, विपक्ष के सारे आरोप निराधार हैं सरकार के पास अभी तक ऐसा कोई पत्र नहीं आया जिससे टीएसडीसी को एनटीपीसी को सौंपना का मामला साफ हो,सदन में हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि राज्य हितों से सरकार कोई समझौता नहीं करेगी राज्य के हितों के लिए हम चट्टान की तरह खड़े
विधानसभा सत्र के पांचवें औऱ आखरी दिन सदन के पटल पर त्रिवेंद्र रावत सरकार के कार्यकाल की पहली CAG रिपोर्ट पेश की गई। साल 2017 – 18 को लेकर CAG ने अपनी रिपोर्ट पेश की । CAG की रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि जहां साल 2016-17 में राजस्व घाटा 383 करोड़ था वहीं साल 2017-18 में यह 1978 करोड़ रुपये हो गया है। कांग्रेस ने रिपोर्ट को लेकर सरकार पर हमला किया है। CAG रिपोर्ट को लेकर कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि CAG की रिपोर्ट का ये तात्पर्य नहीं है कि सरकार ने गलत कार्य किया है। सरकार इंफ्रास्टक्चर को मजबूत करने का प्रयास कर रही है ।