नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर महाकुंभ की तैयारियों को लेकर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने विभागीय अधिकारियों के साथ एसपीएस राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश का भी निरीक्षण किया। बदहाल अस्पताल की हालत को दुरुस्त करने के लिए उन्होंने सीएमओ एके डिमरी को 31 मार्च तक व्यवस्थाएं चाकचौबंद करने के निर्देश दिए। व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं होने पर उचित कार्रवाई की चेतावनी दी है।
शुक्रवार दोपहर को प्रदेश के मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने सरकारी अस्तपाल में महिला वार्ड, पुरुष वार्ड, कोरोना वार्ड, इमरजेंसी, ऑक्सीजन वार्ड, शौचालय आदि का निरीक्षण किया। मुख्य सचिव के अस्पताल परिसर में पहुंचने से पहले स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों के वार्ड में उनके बिस्तर पर नई चादरें बिछा दीं। बदहाल शौचालयों को चमका दिया। गंदे फर्श पर फिनाइल की खुशबू बिखेर दी। पान और गुटखा से रंगीन सीढ़ियों और दीवारों को साफ कर दिया। लेकिन फिर भी स्वास्थ्य विभाग की मेहनत रंग नहीं लाई और एक-एक कर कमियां सामने आती गईं।
मुख्य सचिव ने एसपीएस राजकीय चिकित्सालय में अब तक हुए निर्माण कार्यों की जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल में जितने भी विकास कार्य हुए हैं, उनकी जांच की जाएगी। साथ ही अस्पताल में कितना बजट खर्च हुआ है, इसका भी पूरा हिसाब होगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की एक टीम गठित कर इसकी जांच करेगी।
मुख्य सचिव के निरीक्षण के दौरान अस्पताल परिसर में मुख्य सचिव को कोविड-19 के नियमों का अनुपालन, शौचालय की बदहाल स्थिति, मरीजों के वार्डों में कूड़ेदान की व्यवस्था नहीं होने, खराब अल्ट्रासाउंड मशीन आदि पर स्वास्थ्य विभाग को जमकर फटकार लगाई। इस मौके पर कुंभमेला अधिकारी दीपक रावत, जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव, एसएसपी डॉ. योगेंद्र रावत, कुंभमेला एसएसपी जन्मेजय खंडूड़ी, एसडीएम वरुण चौधरी, सीएमओ एके डिमरी, सीएमएस एनएस तोमर आदि मौजूद थे।
मुख्य सचिव के सरकारी अस्पताल में निरीक्षण के दौरान एक फक्कड़ बाबा ने जमकर हंगामा किया। बाबा ने मुख्य सचिव के सामने अस्पताल की बदहाल स्थिति की कमियां गिनाई। बाबा के अधिक बोलने पर सुरक्षाकर्मी उसे वहां से ले गए। उसके बाद भी बाबा चुप नहीं हुआ। कड़ी मशक्कत के बाद बाबा को अस्पताल परिसर से बाहर ले जाया गया।
वहीं, कुंभ मेले की तैयारियों को परखने त्रिवेणी घाट पहुंचे मुख्य सचिव व मेला अधिकारी से मेयर अनिता ममगाईं ने मुलाकात की। मेयर ने मुख्य सचिव ओमप्रकाश को एक पत्र भी सौंपा, जिसमें त्रिवेणी घाट पर गंगा की जलधारा को लेकर तटबंध बनाने की मांग की है।
मेयर ने अवगत कराया कि ऋषिकेश में वर्षभर श्रद्धालु और पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है। लेकिन गंगा की जल धारा दूर होने की वजह से श्रद्धालुओं के लिए गंगा स्नान के दौरान कई मर्तबा आस्था की डुबकी तक लगाना मुश्किल हो जाता है। गौरतलब है कि इस मुद्दे को अमर उजाला ने 26 मार्च के अंक में कुंभ नजदीक, त्रिवेणीघाट पर दूर बह रही गंगा शीर्षक से प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
बताया कि, कुंभ कार्यों के तहत सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन तीर्थनगरी की हृदयस्थली कहे जाने वाले त्रिवेणी घाट से गंगा आज भी दूर बह रही है। गंगा की धारा को घाट पर लाने के कई प्रयास किए गए, मगर स्थाई समाधान आज तक नहीं हो पाया। गंगा की एक जलधारा को त्रिवेणीघाट पर लाने के लिए प्रतिवर्ष लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन एक बार में यदि तटबंध बना दिया जाता तो इसका स्थायी समाधान हो जाता।