देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता संभालते ही यूनिफार्म सिविल कोड का सुर छेड़ दिया है। गुरुवार को हुई पहली कैबिनेट बैठक में धामी सरकार ने इस मामले में पहला कदम उठा दिया है। सीएम धामी ने कहा कि हम राज्य में यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सरकार एक कमेटी का गठन करेगी, जो प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लेकर ड्राफ्ट तैयार करेगी।

बता दे कि बीजेपी ने सबसे पहले 1989 के लोकसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता का मुद्दा शामिल किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी बीजेपी ने समान नागरिक संहिता को शामिल किया था। आइए जानते हैं क्‍या होता यूनिफार्म सिविल कोड।

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड–
यूनिफार्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून। चाहे व्‍यक्ति किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक कानून लागू होगा। यह एक पंथ निरपेक्षता कानून जो सभी के लिए समान रूप से लागू होता है।

–अभी तक सिर्फ गोवा में–
देश में अभी गोवा एकमात्र राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता लागू है। गोवा में 1961 से ही ‘पुर्तगाल सिविल कोड 1867’ लागू है। अब उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे लागू करने की बात कही है।

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