मुजीब नैथानी।
राजनैतिक उथलपुथल में हरक सिंह की मुलाकात से पहले ही उसे धक्का दिलवाने में त्रिवेंद्र की बैठक ने बहुत काम किया । दल बदल अगर इन नेताओं की आकांक्षाओं के अनुरूप हो तो ठीक वरना ……..
तो दल बदल इन नेताओं को खुद को पार्टी में स्थापित करने का तरीका भी है।
कोटद्वार की जनता को होशियार रहना चाहिए कि तमाम लोग जब डिप्टी कमांडेंट धीरेंद्र चौहान को भाजपा का टक्कर देने वाला उम्मीदवार मान कर चल रहे हैं, तब त्रिवेंद्र सिंह रावत कोटद्वार में किस बूते शैलेंद्र रावत को लाने के लिए लॉबिंग कर रहे होंगे भला।
पहले भी कोटद्वार मेयर की सीट को जबरदस्ती महिला कर हरक सिंह अपनी अनुगामी को चुनाव लड़वाने की तैयारी कर चुके थे, जैसा कि आभास तत्कालीन प्रभारी खुले मंच पर दे गए थे। पर तब भी त्रिवेंद्र और दिलीप की चली और हरक की चाल पर अपनी बिसात चल कर इन्होंने जरूर ठहाके लगाये होंगे पर चुनाव के तीसरे ही दिन दिलीप भाई ने हमारे सिंडिकेट के कार्यालय में बता दिया था कि भाजपा कार्यकर्ता इतना नाराज है कि हमारे झंडे डंडे लगाने को भी तैयार नहीं।
लोग ये मानते हैं कि हरक ने दिलीप को हराने के लिए चौहान का समर्थन किया पर यह डिप्टी कमांडेंट अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी राजनैतिक मृत्यु करने के लिए ही सभी दिग्गज एक हो गए थे। तब एक अच्छे इंसान को हराने के लिए सब एक हो गए और जीते हुए को अपने कलयुगी चक्रव्यूह में फंसा कर हारा दिखा दिया।
इसकी पुष्टि उस बात से की जा सकती है कि मेयर के अतिक्रमणकारी होने की पुष्टियों के बावजूद मेयर के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई यहाँ तक कि हाई कोर्ट में भी झूठा कथन दिया गया।
आखिर भाजपा सरकार कांग्रेस के मेयर को बचाने की कोशिश क्यों कर रही है भला क्योंकि कि इंट्रा दल का सदस्य होना बहुत बड़ी बात है।
जिलाधिकारी कार्यालय में मेयर के खिलाफ जाँच के न्यायालय में केस विचाराधीन होने की आख्या ज्ञात में लम्बित है।
यानी स्पष्ट है कि यहाँ दलों के अंदर भी इंट्रा दलीय गठबंधन है जो भाजपा कांग्रेस दोनों के नेताओं के व्यक्तिगत हितों की पैरवी करता है। उन्हें भाजपा कांग्रेस नामक हाथी के दांत केवल लगाने के लिए चाहिए।
कोटद्वार में खनन के गड्ढों में छह युवाओं की मौत पर कांग्रेस के नेता सुरेंद्र सिंह नेगीजी ने न कोई गम,,, न खुशी,,,,, ओढ़ ली
जबकि विधायकी का दावा करने वालों को इसका विरोध करना चाहिए था और मृतकों के प्रति संवेदना प्रकट करनी चाहिए थी। और तो और अवैध खनन का लाइव करने के बवाल में बड़े भाई बैकग्राउंड में खनन माफियाओं के साथ खड़े हो गए।
अगर कांग्रेस वाकई अवैध खनन को रोकना चाहती तो कौड़िया बैरियर पर कांग्रेसी कार्यकर्ता अगर खड़े भी हो जाते, तो अवैध खनन किसी भी कीमत में कोटद्वार में नहीं होता। मगर क्या हुआ ????
अगर इस अवैध खनन में किसी ने पैसा भी कमाया और इज्जत भी नहीं गवाईं तो वह है कांग्रेस ।
भाजपा कार्यकर्ता तो मुफ्त में बदनाम हुए क्योंकि दो चार चिन्हित को छोड़ कर बाकी भाजपा कार्यकर्ता ऐसे काम धंधे करते ही नहीं है।
और यह इंट्रा दल अब पुराने हथियार फिर अभिमन्यु की कलयुगी भूमि पर प्रयोग करना चाह रहा है जिसमें पहले अभिमन्यु अनिल बलूनी, फिर मेजर जनरल भुवन चन्द्र खण्डूड़ी और तीसरे अभिमन्यु सुरेंद्र सिंह नेगी हुए । नेगी जी ने तो बकायदा अभिमन्यु हो जाने के बाद कहा था कि इससे अच्छा तो मैं खंडूड़ी जी से हार जाता।
तो इन अभिमन्युओं की बिसातों की पृष्ठभूमि के पीछे क्या त्रिवेद जैसे नेताओं का हाथ रहा होगा क्योंकि भाजपा के अभिमन्युओं का भितरघात में जिनका नाम है कमोवेश इंट्रा दलीय सिंडिकेट के वो पावन सदस्य हैं , दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इन्हें यह ऊर्जा भाजपा कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं से प्राप्त होती है क्योंकि उनकी निष्ठा तो भाजपा या कांग्रेस में है और वो गुण दोष का चिंतन मनन नहीं करते।
यक़ीकन अगर किसी भी दल के कार्यकर्ता गुण दोष के आधार पर समर्थन या विरोध करें तो उत्तराखण्ड के भाग्य में बैठ कर राज कर रहे राहु केतु, खर दूषण, चिर और कुट आपको ढूंढे नहीं मिल पाएंगे।
तो भाजपा कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं पार्टी की विचारधारा वाले व्यक्ति का समर्थन करो । केवल टिकट के आधार पर फुदकने वाले चाहे वो कोई भी हो का विरोध करो और उदाहरण तीरथ सिंह रावत जी का दिखाओ जिन्होंने 2017 में टिकट कटने पर फुंदया बाजी नहीं कि थी ।
कितना पावन विकास हुआ इस विकास की समीक्षा हमारे लिखने से पहले आप कर लीजिए ।