उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक आदेश का पालन ना करना उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव समेत उत्तराखंड के सभी जिलों के सीएमओ को महंगा पड़ा है। अब हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वास्थ्य सचिव सहित प्रदेश के सभी सीएमओ को 14 दिसंबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है।

मामले के अनुुसार वर्ष 2019 में उत्तराखंड में तेजी से फैल रहे डेंगू के मामले को लेकर यूथ बार एसोसिएशन ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी और कहा था कि हल्द्वानी समेत पूरे प्रदेश भर के अस्पताल में डेंगू से लड़ने के लिए उचित स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं है, जिस वजह से कई लोगों को अकाल मौत के मुंह में जाना पड़ रहा है। जबकि आए दिन अस्पताल में मरीज और कर्मचारियों के बीच विवाद उत्पन्न हो रहा है और प्रदेश के अस्पतालों में डेंगू के उपचार के लिए पर्याप्त सुविधा व स्टाफ नहीं है लिहाजा सरकारी अस्पताल में जल्द से जल्द स्टाफ की नियुक्ति की जाए वही डेंगू से निपटने के लिए बेहतर मेडिकल सभी जनता को दी जाए।

मामले में सुनवाई करते हुए पूर्व में नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को उत्तराखंड के सभी अस्पतालों में डॉक्टर की नियुक्ति मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति समेत बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के आदेश दिए थे लेकिन 1 साल बीत जाने के बावजूद भी राज्य सरकार के द्वारा सरकारी अस्पतालों में ना तो डॉक्टरों की नियुक्ति की गई और ना ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई गई, जिसके बाद याचिकाकर्ता के द्वारा हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई जिस पर सख्त रुख अपनाते हुए नैनीताल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव समेत उत्तराखंड के सभी 13 सीएमओ को नोटिस जारी कर 14 दिसंबर तक अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं।

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