उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के भंग किए जाने की घोषणा के बाद से ही उत्तराखंड की राजनीतिक गलियारों में हलचल शुरू हो गई है। दरअसल, जहां एक ओर, बोर्ड को भंग करने की घोषणा, राज्य सरकार, जन भावनाओं के अनुरूप लिया गया फैसला बता रही है। तो वहीं, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस वहां पर भी अब इस मामले को लेकर सत्ताधारी पार्टी भाजपा को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। क्योंकि विपक्षी दल यह सवाल उठा रही है कि आखिर जब देवस्थानम बोर्ड का गठन किया जा रहा था तो उस वक्त राज्य सरकार ने जन भावनाओं का ख्याल क्यों नहीं रखा?
यही नहीं, मुख्यमंत्री की घोषणा पर जहां एक ओर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज कोई सरोकार नहीं रख रहे हैं। तो वहीं, दूसरी ओर देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की नींव रखने में अहम भूमिका निभाने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी पुष्कर सिंह धामी के इस फैसले पर चुप्पी साध ली है। ऐसे में यह स्पष्ट हो रहा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बोर्ड के भंग करने की तो घोषणा कर दी लेकिन बोर्ड की नींव रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से कोई राय मशवरा नहीं किया गया। और एकाएक राज्य सरकार, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले को पलटते हुए, बैकफुट पर आ गई।
हालांकि, यह कोई पहला मामला नहीं है जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के शासनकाल में ली गई फैसले को राज्य सरकार ने वापिस लिया हो। इसी क्रम में 2 साल बाद आखिरकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के शासनकाल में लिए गए देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के फैसले को वापस ले लिया है। देवस्थानम बोर्ड को भंग किये जाने की घोषणा के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बचते नजर आए।