आज के दौर में एक तरफ जहां हम नई नई टेक्नोलॉजी से जुड़ते जा रहे हैं तो वही हम कहीं ना कहीं पुरानी संस्कृति रीति रिवाज से भी दूर होते जा रहे हैं जहां पहले खाने के लिए बर्तन मिट्टी के हुआ करते थे तो वहीं इस आधुनिक युग में धीरे-धीरे माटी के बर्तन विलुप्त होते हुए चले गए और अब सिर्फ दिवाली के दिन ही माटी के दीए नजर आते हैं और उन माटी के बर्तनों में भी चाइनीस लड़ियों ने मानो कुम्हारो की जिंदगी में अंधेरा कर दिया है लेकिन अब एक बार फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने माटी कला को चलन में लाने के लिए रविवार को मोथरावाला रोड स्थित माटी कला बोर्ड कार्यालय में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत कुम्हारी कला के लिए विद्युत चालित चाक वितरित किये। मुख्यमंत्री ने कहा कि माटी कला के लिए प्रदेश में एक प्रशिक्षण केन्द्र खोला जायेगा और माटी कला बोर्ड को मिट्टी गूंथने वाली 200 मशीने दी जायेंगी। उन्होंने कहा कि मिट्टी के कार्यों से जुड़े शिल्पकारों का एक डाटा बेस बनना चाहिए। ऐसे स्थान चिन्हित किये जाय जहां पर इस शिल्प पर आधारित कार्य अधिक हो रहे हैं एवं मिट्टी के उपकरण बनाने के लिए उपयुक्त मिट्टी वाले स्थानों को चिन्हित करना जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक के साथ इस शिल्प को कैसे और उभारा जा सकता है, इस दिशा में प्रयासों की जरूरत है। युवा पीढ़ी आधुनिक तकनीक के कार्यों के महत्व को जानती है। हमें अपनी विशेषज्ञता वाले कार्यों से अपनी पहचान को बढ़ाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक प्रतिबंधित होने से मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बढ़ी है। त्योहारों का सीजन और उसके बाद हरिद्वार कुंभ में मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ेगी। बाजार की मांग के हिसाब से पूर्ति की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों में भी मिट्टी के उपकरणों एवं गमलों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।