उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत ने बुधवार शाम चार बजे शपथ ग्रहण कर ली। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राजभवन में उन्हें शपथ दिलाई। तीरथ छात्र राजनीति से ही सक्रिय रहे हैं। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद खंडूरी के सबसे करीबी लोगों में शामिल तीरथ सिंह को 2012 के विधानसभा में चुनाव में चौबट्टाखाल सीट से मैदान में उतारा गया, जहां उन्होंने जीत हासिल की। फरवरी 2013 में उन्हें पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई और 2015 में उन्हें प्रदेश की राजनीति से हटाकर राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व दे दिया गया।

एक नजर तीरथ सिंह रावत पर

पिता का नाम : कमल सिंह रावत
जन्मतिथि : नौ अप्रैल 1964
निवासी : ग्राम सीरों, पट्टी असवालस्यूं, पौड़ी गढ़वाल।
शिक्षा : हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र में परास्नातक।

राजनीतिक सफर

1983 से 1988 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे। उसके बाद अभाविप के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री, गढ़वाल विवि में छात्र संघ अध्यक्ष व छात्र संघ मोर्चा (उत्तर प्रदेश) में प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। भाजयुमो (उत्तर प्रदेश) के प्रदेश उपाध्यक्ष व राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे।

1997 में पहली बाद उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित।

2000 में राज्य गठन के बाद उत्तराखंड की अंतरिम सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री का दायित्व।
2007 में भाजपा के प्रांतीय महामंत्री बने।

2012 के विस चुनाव में चौबट्टाखाल से जीत हासिल की।

2013 में उत्तराखंड दैवीय आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष रहे।

वर्ष 2013 में ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।

पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद खंडूरी के सबसे करीबी लोगों में शामिल तीरथ सिंह को 2012 के विधानसभा में चुनाव में चौबट्टाखाल सीट से मैदान में उतारा गया, जहां उन्होंने जीत हासिल की। फरवरी 2013 में उन्हें पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई और 2015 में उन्हें प्रदेश की राजनीति से हटाकर राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व दे दिया गया।

मैंने कभी भी यहां पहुंचने की कल्पना नहीं की

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि मुझ पर भरोसा करने के लिए लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी चीफ का धन्यवाद करता हूं। मैं पार्टी का ऐसा कार्यकर्ता हूं जो एक छोटे गांव से आता है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं यहां पहुंचूंगा। मैं जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कोशिश करुंगा।

जानिए तीरथ सिंह रावत के बारे में खास बातें…

राज्य के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत 2000 में उत्तराखण्ड के प्रथम शिक्षा मंत्री चुने गए थे।

वर्ष 1997 में वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य के सदस्य निर्वाचित हुए।

इसके बाद 2007 में उत्तराखण्ड के प्रदेश महामंत्री चुने गए थे। उसके बाद वह उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं।

वर्तमान में तीरथ सिंह रावत भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के साथ साथ गढ़वाल लोकसभा से सांसद भी हैं।

पौड़ी सीट से भाजपा के उम्मीदवार के अतिरिक्त 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी भी बनाया गया था।

तीरथ ने गढ़वाल विवि के बिड़ला परिसर श्रीनगर से छात्र राजनीति शुरू की।

वर्ष 1992 में वह सबसे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से गढ़वाल विवि बिड़ला परिसर श्रीनगर के छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े और जीते।

इसके बाद वे अभाविप के प्रदेश संगठन मंत्री, भाजयुमो में प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रहे।

2019 के लोकसभा चुनाव में तीरथ ने गढ़वाल संसदीय सीट से संसदीय राजनीति में पहला कदम रखा था।

पौड़ी-गढ़वाल सीट पर भाजपा प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खंडूड़ी को हराया था। तीरथ को 506980 और मनीष खंडूरी को 204311 वोट मिले थे।

वर्ष 2012 में विधानसभा चौबट्टाखाल से विधायक चुने जाने के बाद वर्ष 2013 में उन्हें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया।

वर्ष 2017 में सिटिंग विधायक होते हुए टिकट कटने के बाद पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी सौंपी।

वर्तमान में तीरथ हिमाचल प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। रामजन्मभूमि आंदोलन में दो माह तक जेल में रहे तीरथ ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। नवनिर्वाचित गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश अध्यक्ष, प्रभारी और प्रत्याशी के रुप में शत-प्रतिशत परिणाम दिए।

तीरथ को 2013 में भाजपा के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में गईं।लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी ने तीरथ को गढ़वाल सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के साथ ही हिमाचल प्रदेश के प्रभारी का दायित्व भी सौंपा। उन्होंने अपनी जीत के साथ हिमाचल प्रदेश की चारों सीटें जिताकर पार्टी में खुद के कद को और मजबूत किया।

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